होली
मुहय्या सब है अब अस्बाब-ए-होली
उठो यारो भरो रंगों से झोली
इधर यार और उधर ख़ूबाँ सफ़-आरा
तमाशा है तमाशा है तमाशा
चमन में धूम-ओ-ग़ुल चारों तरफ़ है
इधर ढोलक उधर आवाज़-ए-दफ़ है
इधर आशिक़ उधर माशूक़ की सफ़
नश्शे में मस्त ओ हर यक जाम-ब-कफ़
गुलाल अबरक़ से सब भर भर के झोली
पुकारे यक-ब-यक होली है होली
लगी पिचकारियों की मार होने
हर इक सूँ रंग की बौछार होने
कोई है साँवरी कोई है गोरी
कोई चम्पा बरन उम्रों में थोड़ी
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