बाग़ में कलियों का मुस्काना गया

बाग़ में कलियों का मुस्काना गया

फूल पर तितली का मंडलाना गया

बे-हुनर होना भी गोया है हुनर

राज़ ये ताख़ीर से जाना गया

मेरे दिल में भी तपाँ हैं वलवले

क्यूँ मुझे बे आरज़ू माना गया

बंद-ए-ग़म से हम रिहा न हो सके

राएगाँ सब सब का समझाना गया

हाथ मलता रह गया शौक़-ए-जुनूँ

तोड़ कर ज़ंजीर-ए-दिल दाना गया

हो चुकी पामाल क़द्र-ए-बंदगी

जब इसे कार-ए-ज़ियाँ जाना गया

आगही की मुश्किलें नाग़ुफ़्तनी

क्यूँ तुझे हद से सिवा जाना गया

कितने चेहरे रखता है वो एक शख़्स

कब 'सहर' तुम से वो पहचाना गया

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In Hindi By Famous Poet Shaista Sahar. is written by Shaista Sahar. Complete Poem in Hindi by Shaista Sahar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.