जादा-ए-इश्क़ में गिर गिर के सँभलते रहना

जादा-ए-इश्क़ में गिर गिर के सँभलते रहना

पाँव जल जाएँ मगर आग पे चलते रहना

जल्वा-ए-अम्न तुम्हीं से है मोहब्बत वालो

महर-ए-ताबाँ की तरह रोज़ निकलते रहना

नग़्मा-ए-इश्क़ न हो एक ही धुन पर क़ाइम

वक़्त के साथ ज़रा राग बदलते रहना

ज़िंदगी को मह-ओ-अंजुम न उजाला देंगे

तुम न इन झूटे खिलौनों से बहलते रहना

है यही वक़्त-ए-अमल जोहद-ए-मुसलसल की क़सम

बे-सहारों की तरह हाथ न मलते रहना

ज़िंदगानी है फ़क़त गर्मी-ए-रफ़्तार का नाम

मंज़िलें साथ लिए राह पे चलते रहना

है सितारों की तरह माइल-ए-परवाज़ 'शकील'

दुश्मनो तुम को क़सम है यूँही जलते रहना

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Badayuni. is written by Shakeel Badayuni. Complete Poem in Hindi by Shakeel Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.