जो दिल पे गुज़रती है वो समझा नहीं सकते

जो दिल पे गुज़रती है वो समझा नहीं सकते

हम देखने वालों को नज़र आ नहीं सकते

बे-क़ैद-ओ-रसूम आई हैं गुलशन में बहारें

अब हाथ गरेबाँ की तरफ़ जा नहीं सकते

रंगीनी-ए-मुस्तक़बिल-ए-रौशन है नज़र में

हम तल्ख़ी-ए-माहौल से घबरा नहीं सकते

मग़रूर न हो फ़ज़्ल-ए-ख़िज़ाँ आ के चमन में

ऐसे भी हैं कुछ फूल जो मुरझा नहीं सकते

माना वो मुझे अपनी निगाहों से गिरा दें

लेकिन मिरे एहसास को ठुकरा नहीं सकते

अरबाब-ए-ख़िरद लाख सुबुक-गाम हों लेकिन

बे-फ़ैज़-ए-जुनूँ राह-ए-तलब पा नहीं सकते

माना कि तिरे लुत्फ़-ओ-करम ख़्वाब हैं लेकिन

हर शख़्स को ये ख़्वाब नज़र आ नहीं सकते

तफ़्सीर-ए-दो-आलम है 'शकील' अपना तग़ज़्ज़ुल

मैदान-ए-ग़ज़ल छोड़ के हम जा नहीं सकते

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Badayuni. is written by Shakeel Badayuni. Complete Poem in Hindi by Shakeel Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.