हम से मय-कश जो तौबा कर बैठें
फिर ये कार-ए-सवाब कौन करे
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
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ये तमाम ग़ुंचा-ओ-गुल मैं हँसूँ तो मुस्कुराएँ
कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल
चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
तिरी महफ़िल से उठ कर इश्क़ के मारों पे क्या गुज़री
मुझ को साक़ी ने जो रुख़्सत किया मय-ख़ाने से
वो दिल में रहते हैं दिल का निशाँ नहीं मा'लूम
दुश्मनों को सितम का ख़ौफ़ नहीं
दिल की बर्बादियों पे नाज़ाँ हूँ
बे-कसी से मरने मरने का भरम रह जाएगा
कोई ऐ 'शकील' पूछे ये जुनूँ नहीं तो क्या है
जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई