हम कि अफ़्कार को तज्सीम किया करते हैं

हम कि अफ़्कार को तज्सीम किया करते हैं

हर्फ़-ओ-अल्फ़ाज़ की तहरीम किया करते हैं

बंद कर लेते हैं आवारा हवा मुट्ठी में

फिर फ़ज़ा में उसे तक़्सीम किया करते हैं

वक़्त जब हाथ नहीं आता तो रोज़-ओ-शब में

इंतिक़ामन उसे तक़्वीम किया करते हैं

कब सितारा कोई माथे की शिकन में उतरा

सब फ़ुसूँ साहब-ए-तंजीम किया करते हैं

हम को इल्ज़ाम न दीजे कोई 'शाकिर'-कुंडान

हम तो निस्बत की भी तकरीम किया करते हैं

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In Hindi By Famous Poet Shakir Kundan. is written by Shakir Kundan. Complete Poem in Hindi by Shakir Kundan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.