शौक़ क़िदवाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शौक़ क़िदवाई

शौक़ क़िदवाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शौक़ क़िदवाई
नामशौक़ क़िदवाई
अंग्रेज़ी नामShauq Qidvai
जन्म की तारीख1852
मौत की तिथि1925

इतरा के आईना में चिढ़ाते थे अपना मुँह

वो ले के दिल को ये सोची कहीं जिगर भी है

था बंद वो दर फिर भी मैं सौ बार गया था

तेरी सी भी आफ़त कोई ऐ सोज़िश-ए-तब है

रूह को आज नाज़ है अपना वक़ार देख कर

रूह को आज नाज़ है अपना वक़ार देख कर

मारे ग़ुस्से के ग़ज़ब की ताब रुख़्सारों में है

लब चुप हैं तो क्या दिल गिला-पर्दाज़ नहीं है

जफ़ा पे शुक्र का उम्मीद-वार क्यूँ आया

हुई या मुझ से नफ़रत या कुछ इस में किब्र-ओ-नाज़ आया

फ़रियाद और तुझ को सितमगर कहे बग़ैर

दिल मिरा टूटा तो उस को कुछ मलाल आ ही गया

दिल खोटा है हम को उस से राज़-ए-इश्क़ न कहना था

भागे अच्छी शक्लों वाले इश्क़ है गोया काम बुरा

अबरू है का'बा आज से ये नाम रख दिया

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