शायान क़ुरैशी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शायान क़ुरैशी

शायान क़ुरैशी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शायान क़ुरैशी
नामशायान क़ुरैशी
अंग्रेज़ी नामShayan Quraishi

ज़माना याद रक्खेगा तुम्हें ये काम कर जाना

ज़ख़्म सीने का फिर उभर आया

ज़बानें चुप रहें लेकिन मिज़ाज-ए-यार बोलेगा

वक़्त आख़िर ले गया वो शोख़ियाँ वो बाँकपन

शिकोह-ए-ज़ात से दुश्मन का लश्कर काँप जाता है

शाम के ढलते सूरज ने ये बात मुझे समझाई है

सफ़र कहने को जारी है मगर अज़्म-ए-सफ़र ग़ाएब

सब्र-ओ-क़रार टूट गया इज़्तिराब से

राह-ए-वफ़ा में साया-ए-दीवार-ओ-दर भी है

हज़ारों मुश्किलें हैं और लाखों ग़म लिए हैं हम

हालात के कोहना दर-ओ-दीवार से निकलें

बिखरी थी हर सम्त जवानी रात घनेरी होने तक

बात हो दैर-ओ-हरम की या वतन की बात हो

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