कहाँ जाती हैं बारिश की दुआएँ
शजर पर एक भी पत्ता नहीं है
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Allama Iqbal
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(717) Peoples Rate This
इक साएँ साएँ घेरे है गिरते मकान को
कभी जंगल कभी सहरा कभी दरिया लिख्खा
आरज़ू थी एक दिन तुझ से मिलूँ
जिन से अँधेरी रातों में जल जाते थे दिए
पत्तियाँ हो गईं हरी देखो
एक आसेब है हर इक घर में
ज़ुल्म तो बे-ज़बान है लेकिन
मंज़िलों का निशान कब देगा
बीच का बढ़ता हुआ हर फ़ासला ले जाएगा
कोई दुआ कभी तो हमारी क़ुबूल कर
मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ दे
आँखें कहीं दिमाग़ कहीं दस्त ओ पा कहीं