सब कुछ होते हुए भी
कुछ नहीं पास
अधूरे हैं ख़्वाब
अधूरी है प्यास
न कोई हसरत बाक़ी
और न है कोई आस
अजब तमाशे दिखाती है ज़िंदगी
रचाती है रोज़ नया कोई रास
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Gulzar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Rahat Indori
Wasi Shah
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दावत-नामा
तआ'रुफ़
नज़्म
मैं इंतिज़ार करूँगी
आम सा दूल्हा
अण्डा
नफ़रत और मोहब्बत
गिरता हुआ दरख़्त
पसंद
चाँद
मुझे मुआ'फ़ कर देना
अधूरे ख़्वाब