कहूँ मैं क्या कि क्या दर्द-ए-निहाँ है

कहूँ मैं क्या कि क्या दर्द-ए-निहाँ है

तुम्हारे पूछने ही से अयाँ है

शिकायत की भी अब ताक़त कहाँ है

निगाह-ए-हसरत आह-ए-ना-तवाँ है

निशान-ए-पा-ए-ग़ैर उस आस्ताँ पर

नहीं है मेरे मरक़द का निशाँ है

अजल ने की है किस दम मेहरबानी

कि जब पहलू में वो ना-मेहरबाँ है

तुझे भी मिल गया है कोई तुझ सा

अब आईने से वो सोहबत कहाँ है

ये किस गुल-रू का आलम याद आया

दम-ए-सर्द इक नसीम-ए-बोस्ताँ है

हुई बेताबी-ए-बुलबुल मोअस्सिर

कि घबराया हुआ कुछ बाग़बाँ है

सहर उन को इरादा है सफ़र का

क़यामत आने में शब दरमियाँ है

कोई याँ लाओ उस ईसा-नफ़स को

कि मरता 'शेफ़्ता' नाम इक जवाँ है

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In Hindi By Famous Poet Shefta Mustafa Khan. is written by Shefta Mustafa Khan. Complete Poem in Hindi by Shefta Mustafa Khan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.