ग़र्क़-ए-ग़म हूँ तिरी ख़ुशी के लिए

ग़र्क़-ए-ग़म हूँ तिरी ख़ुशी के लिए

यही सज्दा है बंदगी के लिए

हर किसी के लिए ग़म-ए-इशरत

इशरत-ए-ग़म किसी किसी के लिए

नक़्श मंज़िल है ज़र्रे ज़र्रे में

रह-नवरदान-ए-आगही के लिए

जब से अपना समझ लिया सब को

मिल गए काम ज़िंदगी के लिए

अब निगाहों में वो समाए हैं

अब निगाहें नहीं किसी के लिए

ये जहाँ ग़म-कदा सही लेकिन

इक तमाशा है अजनबी के लिए

इतनी ख़िज़्र-आगही के बा'द 'सहाब'

ढूँडिए किस को गुम-रही के लिए

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In Hindi By Famous Poet Shiv Dayal Sahab. is written by Shiv Dayal Sahab. Complete Poem in Hindi by Shiv Dayal Sahab. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.