यहाँ वहाँ की बुलंदी में शान थोड़ी है

यहाँ वहाँ की बुलंदी में शान थोड़ी है

पहाड़ कुछ भी सही आसमान थोड़ी है

मिरे वजूद से कम तेरी जान थोड़ी है

फ़साद तेरे मिरे दरमियान थोड़ी है

मिले बिना कोई रुत हम से जा नहीं सकती

हमारे सर पे कोई साएबान थोड़ी है

ये वाक़िआ है कि दुश्मन से मिल गए हैं दोस्त

मिरा बयान बराए बयान थोड़ी है

करम है मुझ पे किसी और के जलाने को

वो शख़्स मुझ पे कोई मेहरबान थोड़ी है

वो हम-ख़याल है उस्लूब उस का जो भी हो

रक़ीब ही तो है चंगेज़ ख़ान थोड़ी है

'शुज'अ' शाइरी होती है ज़ात के बल पर

मिरी कुमक पे कोई ख़ानदान थोड़ी है

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In Hindi By Famous Poet Shuja Khaavar. is written by Shuja Khaavar. Complete Poem in Hindi by Shuja Khaavar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.