सिद्दीक़ शाहिद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सिद्दीक़ शाहिद

सिद्दीक़  शाहिद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सिद्दीक़  शाहिद
नामसिद्दीक़ शाहिद
अंग्रेज़ी नामSiddiq Shahid

उस के जाने पे ये एहसास हुआ है 'शाहिद'

निकल आए जो हम घर से तो सौ रस्ते निकल आए

मुझ से कहती हैं वो उदास आँखें

कुछ ऐसे दौर भी ताहम गिरफ़्त में आए

ख़्वाब टूटे पड़े हैं सब मेरे

खुला न उस पे कभी मेरी आँख का मंज़र

बजा है ख़्वाब-नवर्दी प ख़्वाब ऐसे हों

ऐसा कुछ गर्दिश-ए-दौराँ ने रखा है मसरूफ़

ये रोज़ ओ शब का तसलसुल रवाँ-दवाँ ही रहा

शौक़-ए-आवारा यूँही ख़ाक-बसर जाएगा

शहर सहरा है घर बयाबाँ है

निकाल लाया है घर से ख़याल का क्या हो

न देखा जामा-ए-ख़ुद-रफ़्तगी उतार के भी

कुछ ऐसी टूट के शहर-ए-जुनूँ की याद आई

कार-ए-मुश्किल ही किया दुनिया में गर मैं ने किया

हूँ किस मक़ाम पे दिल में तिरे ख़बर न लगे

फ़ुग़ान-ए-रूह कोई किस तरह सुनाए उसे

फ़िराक़ ओ वस्ल से हट कर कोई रिश्ता हमारा हो

दिल की बस्ती पे किसी दर्द का साया भी नहीं

चलते चलते चले आए हैं परेशानी में

आग को फूल कहे जाएँ ख़िर्द-मंद अपने

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