सिरज़ अालम ज़ख़मी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सिरज़ अालम ज़ख़मी

सिरज़ अालम ज़ख़मी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सिरज़ अालम ज़ख़मी
नामसिरज़ अालम ज़ख़मी
अंग्रेज़ी नामSiraj Alam Zakhmi

वो इतनी शिद्दतों से सोचता है

तोड़े बग़ैर संग तराशे न जाएँगे

सदा-ए-दिल को कहीं बारयाब होना था

क्या हमसरी की हम से तमन्ना करे कोई

कोई शिकवा कोई गिला दे दे

ख़ुद को बचाऊँ जिस्म सँभालूँ कि रूह को

इतना न दूर जाओ कि जीना मुहाल हो

दिल में तूफ़ान नहीं आँख में सैलाब नहीं

दिल में रह रह के शोर उठता है

बिखरते टूटते लम्हों में ऐसा लगता है

बेवफ़ाई का मुझे इल्ज़ाम देता था वो शख़्स

ज़िंदगी तुझ से प्यार क्या करते

ज़मीं पे रहते हुए कहकशाँ से मिलते हैं

कोई महबूब सितमगर भी तो हो सकता है

कहाँ तलक तिरी यादों से तख़लिया कर लें

बहुत उदास है दिल जाने माजरा क्या है

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