सिराज औरंगाबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सिराज औरंगाबादी

सिराज औरंगाबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सिराज औरंगाबादी
नामसिराज औरंगाबादी
अंग्रेज़ी नामSiraj Aurangabadi
जन्म की तारीख1714
मौत की तिथि1763
जन्म स्थानAurangabad

ज़िंदगानी दर्द-ए-सर है यार बिन

ज़ि-बस काफ़िर-अदायों ने चलाए संग-ए-बे-रहमी

वो ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन लगती नहीं हात

वो अजब घड़ी थी मैं जिस घड़ी लिया दर्स नुस्ख़ा-ए-इश्क़ का

वो आशिक़ी के खेत में साबित क़दम हुआ

वस्ल के दिन शब-ए-हिज्राँ की हक़ीक़त मत पूछ

वक़्त है अब नमाज़-ए-मग़रिब का

तुम्हारी ज़ुल्फ़ का हर तार मोहन

तुझ ज़ुल्फ़ में दिल ने गुम किया राह

तिरी अबरू है मेहराब-ए-मोहब्बत

तिरे सुख़न में ऐ नासेह नहीं है कैफ़िय्यत

तिरे सलाम के धज देख कर मिरे दिल ने

ताज़ा रख आब-ए-मेहरबानी सीं

तकिया-ए-मख़मली सिरहाने रख

तहक़ीक़ की नज़र सीं आख़िर कूँ हम ने देखा

सुना है जब सीं तेरे हुस्न का शोर

'सिराज' इन ख़ूब-रूयों का अजब मैं क़ाएदा देखा

शोर है बस-कि तुझ मलाहत का

शह-ए-बे-ख़ुदी ने अता किया मुझे अब लिबास-ए-बरहनगी

सनम किस बंद सीं पहुँचूँ तिरे पास

रोज़ा-दारान-ए-जुदाई कूँ ख़म-ए-अबरू-ए-यार

क़ातिल ने अदा का किया जब वार उछल कर

पेच खा खा कर हमारी आह में गिर्हें पड़ीं

पकड़ा हूँ किनारा-ए-जुदाई

नियाज़-ए-बे-ख़ुदी बेहतर नमाज़-ए-ख़ुद-नुमाई सीं

नींद सीं खुल गईं मिरी आँखें सो देखा यार कूँ

नज़र-ए-तग़ाफ़ुल-ए-यार का गिला किस ज़बाँ सीं करूँ बयाँ

नज़र आता नहीं मुझ कूँ सबब क्या

नक़्द-ए-दिल-ए-ख़ालिस कूँ मिरी क़ल्ब तूँ मत जान

नहीं बुझती है प्यास आँसू सीं लेकिन

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