दिल से अब तो नक़्श-ए-याद-ए-रफ़्तगाँ भी मिट गया

दिल से अब तो नक़्श-ए-याद-ए-रफ़्तगाँ भी मिट गया

इस ख़राबे से बिल-आख़िर ये निशाँ भी मिट गया

किस क़दर ख़ामोश था मैदाँ सर-ए-शाम-ए-शिकस्त

मर्हबा के साथ शोर-ए-अल-अमाँ भी मिट गया

पहले तो साया-फ़गन था ख़ाक हो जाने का ख़ौफ़

फिर दिलों से रंज-ए-उम्र-ए-राएगाँ भी मिट गया

टूटता जाता है अब ताराज ख़्वाबों का तिलिस्म

आँख से अक्स-ए-निगार-ए-मेहरबाँ भी मिट गया

ज़िंदगी और मौत में इक फ़र्क़ था हम से 'मुनीर'

मिट गए हम फ़र्क़ उन के दरमियाँ भी मिट गया

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In Hindi By Famous Poet Siraj Muneer. is written by Siraj Muneer. Complete Poem in Hindi by Siraj Muneer. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.