आग़ोश में आ कि कामरानी कर लूँ
कुछ रोज़ ख़ुशी से ज़िंदगानी कर लूँ
इक जाम-ए-मय-ए-तरब पिला दे साक़ी
फ़ानी है हयात जावेदानी कर लूँ
Gulzar
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Habib Jalib
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(787) Peoples Rate This
सुरय्या की गुड़िया
तंहाई
जब अश्क तिरी याद में आँखों से ढले हैं
इस निय्यत से तंग आ के रोए हम लोग
हर ख़िज़ाँ ग़ारत-गर-ए-चमन ही सही
तुम आसमाँ की तरफ़ न देखो
वो हुस्न को जल्वा-गर करेंगे
काविश-ए-बेश-ओ-कम की बात न कर
ये फूल चमन को क्या सँवारें साक़ी
बंद हो जाए मिरी आँख अगर
कितनी फ़रियादें लबों पर रुक गईं
हर एक नक़्श तिरे पाँव का निशाँ सा है