यूँ कौन सी चीज़ है जो दुनिया में नहीं
आँसू सागर जहान-ए-पैदा में नहीं
इस क़तरे में काएनात-ए-ग़म है पिन्हाँ
इस क़तरे की वुसअतें तो दरिया में नहीं
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Gulzar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
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दास्तान-ए-ग़म हम ने कह भी दी तो क्या होगा
मिलते गए हैं मोड़ नए हर मक़ाम पर
बंद हो जाए मिरी आँख अगर
हुस्न को जो मंज़ूर हुआ
दिल को आए कि निगाहों को यक़ीं आ जाए
जाने किस की थी ख़ता याद नहीं
इश्क़ की इब्तिदा है सोज़-ए-दरूँ
उठी है जो क़दमों से वो दामन से अड़ी है
सौ बार चमन महका सौ बार बहार आई
तुम आसमाँ की तरफ़ न देखो
कितनी फ़रियादें लबों पर रुक गईं
एक शोला सा उठा था दिल में