शौक़-ए-बुतान-ए-अंजुमन-आरा लिए हुए

शौक़-ए-बुतान-ए-अंजुमन-आरा लिए हुए

फिरता हूँ हश्र में वही दुनिया लिए हुए

आती है किस दिमाग़ से इक इक निगाह-ए-हुस्न

दिल में हज़ार फ़ित्ना-ए-बरपा लिए हुए

याद आ रही है उन की वो तजदीद-ए-इल्तिफ़ात

पहलू-ए-सद-नदामत-ए-ईफ़ा लिए हुए

किस की तलाश है कि सर-ए-तूर इस तरह

आए हो मिशअल-ए-रुख़-ए-ज़ेबा लिए हुए

बेबाक हैं कि जान के पहचानते नहीं

मेरी निगाह-ए-रंग-ए-तमन्ना लिए हुए

अब क्या हो कैफ़-ए-इश्क़ कि मुद्दत गुज़र गई

उन के लबों से जुरा-ए-सहबा लिए हुए

फिर उन को छेड़ता हूँ कि अर्सा बहुत हुआ

दिल से कुछ इंतिक़ाम-ए-तमन्ना लिए हुए

देखा ख़िराम-ए-नाज़ 'सुहा' जा रहे हैं वो

पस्ती को सू-ए-आलम-ए-बाला लिए हुए

(511) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Suha Mujaddadi. is written by Suha Mujaddadi. Complete Poem in Hindi by Suha Mujaddadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.