न किसी को फ़िक्र-ए-मंज़िल न कहीं सुराग़-ए-जादा

न किसी को फ़िक्र-ए-मंज़िल न कहीं सुराग़-ए-जादा

ये अजीब कारवाँ है जो रवाँ है बे-इरादा

यही लोग हैं अज़ल से जो फ़रेब दे रहे हैं

कभी डाल कर नक़ाबें कभी ओढ़ कर लबादा

मेरे रोज़-ओ-शब यही हैं कि मुझी तक आ रही हैं

तेरे हुस्न की ज़ियाएँ कभी कम कभी ज़ियादा

सर-ए-अंजुमन तग़ाफ़ुल का सिला भी दे गई है

वो निगह जो दर-हक़ीक़त थी निगाह से ज़ियादा

हो बरा-ए-शाम-ए-हिज्राँ लब-ए-नाज़ से फ़रोज़ाँ

कोई एक शम्-ए-पैमाँ कोई इक चराग़-ए-व'अदा

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In Hindi By Famous Poet Suroor Barabankvi. is written by Suroor Barabankvi. Complete Poem in Hindi by Suroor Barabankvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.