वो दश्त-ए-तीरगी है कि कोई सदा न दे

वो दश्त-ए-तीरगी है कि कोई सदा न दे

साया भी मेरे जिस्म का मुझ को पता न दे

ना-आगही की रात भी कितनी लतीफ़ थी

ये आगही की धूप है चेहरा जला न दे

ख़्वाबों का इक लतीफ़ सा है अक्स ज़ेहन पर

बाद-ए-सुमूम-ए-वक़्त इसे भी मिटा न दे

चश्म-ए-ग़ज़ाल झील का मंज़र हसीन मौत

मेरी तरफ़ न देख मुझे ये सज़ा न दे

दिल से भी उस निगाह का जादू छुपा लिया

नादाँ है सादगी में कहीं कुछ बता न दे

शाइस्तगी का जब्र कि रोया न जा सका

चुप-चाप दिल की आग बदन को घुला न दे

इक पल को भी सुकून न दे ज़िंदगी 'शमीम'

और भागना भी चाहूँ तो ये रास्ता न दे

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In Hindi By Famous Poet Syed Ahmed Shameem. is written by Syed Ahmed Shameem. Complete Poem in Hindi by Syed Ahmed Shameem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.