शौक़-ए-वारफ़्ता को मलहूज़-ए-अदब भी होगा

शौक़-ए-वारफ़्ता को मलहूज़-ए-अदब भी होगा

शर्त है माल-ए-अरब पेश-ए-अरब भी होगा

लब-ओ-रुख़्सार में होगी गुल-ओ-महताब की बात

आँख में तज़किरा-ए-बिंत-ए-इनब भी होगा

मान लेता है मिरी बात मिरा हीला-तराज़

और सब वा'दों में इक वादा-ए-शब भी होगा

इश्क़ वो शय है कि बर्फ़ीले निहाँ-ख़ानों में

सर्द पड़ जाए शरर-बार तो जब भी होगा

बे-तअल्लुक़ ही सही ये मगर उस शख़्स के पास

दिल जो लगता है तो लगने का सबब भी होगा

हर गली शहर की ग़ालीचा-ए-उश्शाक नहीं

ख़ून-ए-नाहक़ है तो फिर दाद-तलब भी होगा

क़हर दरवेश तो होता है ब-जान-ए-दरवेश

ज़ेर-ए-फ़रमान जो होता था सो अब भी होगा

कर्ब के ज़हर का मारा हुआ इंसान है ये

सर पे सौ बोझ मगर ख़ंदा-ब-लब भी होगा

इक असा पास न हो ज़ोम-ए-कलीमी भी हो

ऐसा लगता है कि ये कार-ए-अजब भी होगा

यूँ तो बे-आब हैं खे़मे ये जहाँ तक भी हैं

दिल ये कहता है कहीं अब्र-ए-तरब भी होगा

(521) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Syed Amin Ashraf. is written by Syed Amin Ashraf. Complete Poem in Hindi by Syed Amin Ashraf. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.