क्या भरोसा है उन्हें छोड़ के लाचार न जा

क्या भरोसा है उन्हें छोड़ के लाचार न जा

बिन तिरे मर ही न जाएँ तिरे बीमार न जा

मुझ को रोका था सभी ने कि तिरे कूचे में

जो भी जाता है वो होता है गिरफ़्तार न जा

नाख़ुदा से भी मरासिम नहीं अच्छे तेरे

और टूटे हुए कश्ती के भी पतवार न जा

जलते सहरा का सफ़र है ये मोहब्बत जिस में

कोई बादल न कहीं साया-ए-अश्जार न जा

बिन हमारे न तिरे नाज़ उठाएगा कोई

सोच ले छोड़ के हम ऐसे परस्तार न जा

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In Hindi By Famous Poet Syed Sagheer Safi. is written by Syed Sagheer Safi. Complete Poem in Hindi by Syed Sagheer Safi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.