हम ने कितने धोके में सब जीवन की बर्बादी की
गाल पे इक तिल देख के उन के सारे जिस्म से शादी की
Mohsin Naqvi
Gulzar
Jaun Eliya
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Javed Akhtar
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पुरानी मोटर
बद-नामी के ब'अद
तूफ़ाँ नहीं गुज़रे कि बयाबाँ नहीं गुज़रे
जब्र ओ जहालत
दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रा'नाई बहुत
तहलील
औरतों की असेंबली
उन के फाटक में यूँ खड़े हैं हम
जवाज़
हम ज़माने से फ़क़त हुस्न-ए-गुमाँ रखते हैं
हँस मगर हँसने से पहले सोच ले
हम न्यूट्रल हैं ख़ारजा हिकमत के बाब में