ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ (page 2)

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ (page 2)
नामग़ुलाम रब्बानी ताबाँ
अंग्रेज़ी नामTaban Ghulam Rabbani
जन्म की तारीख1914
मौत की तिथि1993
जन्म स्थानDelhi

शौक़ का तक़ाज़ा है शरह-ए-आरज़ू कीजे

शरह-ए-जाँ-सोज़-ए-ग़म-ए-अर्ज़-ए-वफ़ा क्या करते

शबाब-ए-हुस्न है बर्क़-ओ-शरर की मंज़िल है

सर-ता-ब-क़दम एक हसीं राज़ का आलम

रहगुज़र हो या मुसाफ़िर नींद जिस को आए है

क़ुसूर इश्क़ में ज़ाहिर है सब हमारा था

नुमू के फ़ैज़ से रंग-ए-चमन निखर सा गया

मिलेगा दर्द तो दरमाँ की आरज़ू होगी

मिरी सहबा-परस्ती मोरीद-ए-इल्ज़ाम है साक़ी

मंज़िलों से बेगाना आज भी सफ़र मेरा

लुत्फ़ ये है जिसे आशोब-ए-जहाँ कहता हूँ

लुत्फ़ का रब्त है कोई न जफ़ा का रिश्ता

लाई तिरी महफ़िल में मुझे आरज़ू-ए-दीद

किसी के हाथ में जाम-ए-शराब आया है

कमाल-ए-बे-ख़बरी को ख़बर समझते हैं

जुनूँ ख़ुद-नुमा ख़ुद-निगर भी नहीं

जुनूँ ख़ुद-नुमा ख़ुद-नगर भी नहीं

जल्वा पाबंद-ए-नज़र भी है नज़र-साज़ भी है

हम एक उम्र जले शम-ए-रहगुज़र की तरह

हम एक उम्र जले शम-ए-रहगुज़र की तरह

हुजूम-ए-दर्द का इतना बढ़े असर गुम हो

हर सितम लुत्फ़ है दिल ख़ूगर-ए-आज़ार कहाँ

हर मोड़ को चराग़-ए-सर-ए-रहगुज़र कहो

गुलों के साथ अजल के पयाम भी आए

एक तुम ही नहीं दुनिया में जफ़ाकार बहुत

दिल वो काफ़िर कि सदा ऐश का सामाँ माँगे

दौर-ए-तूफ़ाँ में भी जी लेते हैं जीने वाले

दाद भी फ़ित्ना-ए-बेदाद भी क़ातिल की तरफ़

छटे ग़ुबार-ए-नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

छटे ग़ुबार नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

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