ताबिश कमाल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ताबिश कमाल

ताबिश कमाल  कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ताबिश कमाल
नामताबिश कमाल
अंग्रेज़ी नामTabish Kamal

ज़माने से अलग थी मेरी दुनिया

यक़ीं से जो गुमाँ का फ़ासला है

उतर गया है रग-ओ-पय में ज़ाइक़ा उस का

न देखें तो सुकूँ मिलता नहीं है

कोई इज़हार कर सकता है कैसे

कई पड़ाव थे मंज़िल की राह में 'ताबिश'

कब खुलेगा कि फ़लक पार से आगे क्या है

जिस ने इंसाँ से मोहब्बत ही नहीं की 'ताबिश'

हम उस धरती के बाशिंदे थे 'ताबिश'

अजब यक़ीन सा उस शख़्स के गुमान में था

शायरों का जब्र

सारबान

क़िस्सा-ए-शब

कहीं से तुम मुझे आवाज़ देती हो

कहाँ आ गई हो

एक बुज़ुर्ग शायर परिंदे का तजरबा

Dimensions

देव-मालाएँ सच्ची होती हैं

बिल-जब्र

बे-घरी

अपनी साल-गिरह पर

ये शहर आफ़तों से तो ख़ाली कोई न था

यक़ीं से जो गुमाँ का फ़ासला है

न देखें तो सुकूँ मिलता नहीं है

क्या कहूँ वो किधर नहीं रहता

कब खुलेगा कि फ़लक पार से आगे क्या है

हमारा डूबना मुश्किल नहीं था

अजीब सुब्ह थी दीवार ओ दर कुछ और से थे

अजब यक़ीन सा उस शख़्स के गुमान में था

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