पहाड़ों को बिछा देते कहीं खाई नहीं मिलती

पहाड़ों को बिछा देते कहीं खाई नहीं मिलती

मगर ऊँचे क़दम रखने को ऊँचाई नहीं मिलती

अकेला छोड़ता कब है किसी को ला-शुऊर-ए-तन

किसी तन्हाई में भरपूर तन्हाई नहीं मिलती

ग़नीमत है कि हम ने चश्म-ए-हसरत पाल रक्खी है

ज़माने को ये हसरत भी मिरे भाई नहीं मिलती

फुसून-ए-रेग में मौजें भी हैं दलदल भी होते हैं

मगर सहरा समुंदर थे ये सच्चाई नहीं मिलती

तिरी ख़ालिस किरन की आग है तैफ़-ए-तसव्वुर में

क़ुज़ह बनती नहीं मुझ में तो बीनाई नहीं मिलती

निचोड़ी जा चुकी है मिट्टी इकहरा हो गया पानी

अनासिर मिल भी जाते हैं तो रानाई नहीं मिलती

ग़ज़ल कह के सुकूँ 'तफ़ज़ील' मिलता है मगर मिट्टी

इसे लावा उगल कर भी शकेबाई नहीं मिलती

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In Hindi By Famous Poet Tafzeel Ahmad. is written by Tafzeel Ahmad. Complete Poem in Hindi by Tafzeel Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.