ताहिर फ़राज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ताहिर फ़राज़

ताहिर फ़राज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ताहिर फ़राज़
नामताहिर फ़राज़
अंग्रेज़ी नामTahir Faraz

वक़्त करता है ख़ुद-कुशी मुझ में

सुकून-ए-दिल में वो बन के जब इंतिशार उतरा तो मैं ने देखा

मिरी मंज़िलें कहीं और हैं मिरा रास्ता कोई और है

मिरे लबों पे उसी आदमी की प्यास न हो

में न कहता था कि शहरों में न जा यार मिरे

कोई हसीं मंज़र आँखों से जब ओझल हो जाएगा

कहीं ख़ुलूस की ख़ुशबू मिले तो रुक जाऊँ

जो शजर बे-लिबास रहते हैं

जिस ने तेरी याद में सज्दे किए थे ख़ाक पर

जब मिरे होंटों पे मेरी तिश्नगी रह जाएगी

गोशे बदल बदल के हर इक रात काट दी

ग़म इस का कुछ नहीं है कि मैं काम आ गया

दर्द ख़ामोश रहा टूटती आवाज़ रही

अजीब हम हैं सबब के बग़ैर चाहते हैं

अब के बरस होंटों से मेरे तिश्ना-लबी भी ख़त्म हुइ

आप हमारे साथ नहीं

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