न पहुँचा साथ यारान-ए-सफ़र की ना-तवानी से

न पहुँचा साथ यारान-ए-सफ़र की ना-तवानी से

मैं सर पटका किया इक उम्र संग-ए-सख़्त-जानी से

अदा फ़हमान-ए-शौक़-ए-वस्ल हो तूर-ए-तजल्ली पर

मज़ा दीदार का मिलता है बांग-ए-लनतरानी से

मुरीद-ए-मुर्शिद-ए-हिम्मत हूँ मैं मेरी तरीक़त में

कफ़न भी साथ लाना नंग है दुनिया-ए-फ़ानी से

वो सरगर्म-ए-बयान-ए-सोज़िश-ए-दाग़-ए-मोहब्बत हूँ

हज़र करता है शो'ला भी मिरी आतिश-बयानी से

हमारे ग़ुंचा-ए-दिल को तबस्सुम की न दी फ़ुर्सत

रहा हम को ये शिकवा लुत्मा-ए-बाद-ख़िज़ानी से

शराब-ए-इश्क़ का साग़र दिया है मुझ को साक़ी ने

न उठ्ठूँगा मैं महशर को भी अपनी सरगिरानी से

हमें वो राह बतलाई है ख़िज़्र-ए-इ'श्क़ ने 'ऐशी'

निशान-ए-रफ़्तगाँ पैदा है जिस में बे-निशानी से

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In Hindi By Famous Poet Talib Ali Khaan Aishi. is written by Talib Ali Khaan Aishi. Complete Poem in Hindi by Talib Ali Khaan Aishi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.