बातिल-ओ-ना-हक़ से उम्मीद-ए-करम करते रहे

बातिल-ओ-ना-हक़ से उम्मीद-ए-करम करते रहे

जो न करना था हमें वो काम हम करते रहे

ज़ब्त कर सकते थे आख़िर ज़ब्त हम करते रहे

काम था जिन का सितम करना सितम करते रहे

ज़िंदगी-भर मुस्कुराए बे-सबब हम दोस्तो

ज़िंदगी-भर ज़ीस्त की तल्ख़ी को कम करते रहे

ऐ क़ज़ा तू देर से आई मगर ख़ुश-आमदीद

उम्र-भर हम याद तुझ को दम-ब-दम करते रहे

उम्र-भर हम ने किया है दूसरों का एहतिराम

या'नी ख़ुद को उम्र-भर हम मोहतरम करते रहे

उम्र पढ़ने लिखने की ग़फ़लत में गुज़री और फिर

ज़िंदगी-भर हाथ अरमान-ए-क़लम करते रहे

क्या नमाज़ें हैं हमारी क्या हमारी बंदगी

खोट निय्यत में रहा और सर को ख़म करते रहे

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In Hindi By Famous Poet Tanweer Gauhar. is written by Tanweer Gauhar. Complete Poem in Hindi by Tanweer Gauhar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.