लहू को पालते फिरते हैं हम हिना की तरह

लहू को पालते फिरते हैं हम हिना की तरह

बदल गए हैं मज़ामीं तिरी वफ़ा की तरह

हम ऐतबार-ए-वफ़ा का गुमाँ करें भी तो क्या

वो आज सूरत-ए-गुल हैं तो कल सबा की तरह

उसे तो संग-ए-रऊनत ने कर दिया घायल

मैं टूट टूट गया शीशा-ए-अना की तरह

झटक के ले गया भीगी रुतों के इम्कानात

निकल गया मिरे सहरा से फिर हवा की तरह

कभी खुले भी दर-ए-मुस्तजाब-ए-चारा-गराँ

बहुत दिनों से तही-दस्त हूँ दुआ की तरह

असा छिना है तो कासा भी ले उड़ा कोई

नवा नवा हूँ सर-ए-शहर-ए-जाँ-गदा की तरह

लगी है शहर में इक भीड़ मरने वालों की

ये किस ने डाली है मक़्तल में ख़ूँ-बहा की तरह

कहीं तो उस के मरासिम में झोल था तारिक़

वगर्ना हम से न मिलता वो आश्ना की तरह

(516) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Tariq Masood. is written by Tariq Masood. Complete Poem in Hindi by Tariq Masood. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.