वो जो इक इल्ज़ाम था उस पर कहीं

वो जो इक इल्ज़ाम था उस पर कहीं

आ न जाए अब हमारे सर कहीं

जिस की ख़ातिर क़ाफ़िला रोका गया

वो मुसाफ़िर चल दिया उठ कर कहीं

जब वो दो पंछी मिले थे खेत में

फिर नज़र आ जाए वो मंज़र कहीं

ख़्वाहिशों के ग़ार का मुँह बंद है

तुम हटा देना न वो पत्थर कहीं

आसमाँ से आने वाले सात रंग

थे किसी के, आ के उतरे, पर कहीं

दिल की इक उम्मीद दिल में रह गई

इक दिया सा बुझ गया जल कर कहीं

लापता है इक समुंदर आज तक

झाँक बैठा था मिरे अंदर कहीं

डस न ले मुझ को कहीं ख़ुशबू तिरी

खा न जाए मुझ को ये बिस्तर कहीं

आ गया वो जिस्म के मलबे तले

मैं गिरा दहलीज़ से बाहर कहीं

धूप के लम्बे सफ़र के ब'अद हम

साँस लेंगे साए में रुक कर कहीं

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In Hindi By Famous Poet Tauqeer Raza. is written by Tauqeer Raza. Complete Poem in Hindi by Tauqeer Raza. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.