तिलोकचंद महरूम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का तिलोकचंद महरूम (page 2)
नाम | तिलोकचंद महरूम |
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अंग्रेज़ी नाम | Tilok Chand Mahroom |
जन्म की तारीख | 1887 |
मौत की तिथि | 1966 |
बुरा हो उल्फ़त-ए-ख़ूबाँ का हम-नशीं हम तो
ब-ज़ाहिर गर्म है बाज़ार-ए-उल्फ़त
बाद-ए-तर्क-ए-आरज़ू बैठा हूँ कैसा मुतमइन
अक़्ल को क्यूँ बताएँ इश्क़ का राज़
ऐ हम-नफ़स न पूछ जवानी का माजरा
तस्वीर-ए-रहमत
शहीद भगत-सिंह
नूर-जहाँ का मज़ार
ख़ाक-ए-हिंद
छब्बीस जनवरी
ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया
ये किस से आज बरहम हो गई है
वो दिल कहाँ है अहल-ए-नज़र दिल कहें जिसे
वो आई शाम-ए-ग़म वक़्फ़-ए-बला होने का वक़्त आया
वही अरमान जैसे जी जो मुश्किल से निकलते हैं
ताइर-ए-दिल के लिए ज़ुल्फ़ का जाल अच्छा है
सितम कोई नया ईजाद करना
शहर से एक तरफ़ दूर बहुत
नज़र उठा दिल-ए-नादाँ ये जुस्तुजू क्या है
क्या सुनाएँ किसी को हाल अपना
किसी की याद को हम ज़ीस्त का हासिल समझते हैं
ख़ुदा से वक़्त-ए-दुआ हम सवाल कर बैठे
ख़िज़ाँ से पेशतर सारा चमन बर्बाद होता है
काविशों से अमाँ मिले न मिले
कम न थी सहरा से कुछ भी ख़ाना-वीरानी मिरी
इस का गिला नहीं कि दुआ बे-असर गई
होते हैं ख़ुश किसी की सितम-रानियों से हम
हिज्राँ की शब जो दर्द के मारे उदास हैं
हमारे वास्ते है एक जीना और मर जाना
हैरत-ज़दा मैं उन के मुक़ाबिल में रह गया