उठाने के क़ाबिल हैं सब नाज़ तेरे
मगर हम कहाँ नाज़ उठाने के क़ाबिल
Habib Jalib
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
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हम भूल को अपनी इल्म-ओ-फ़न समझे हैं
इस का गिला नहीं कि दुआ बे-असर गई
ये किस से आज बरहम हो गई है
है नाज़िश-ए-काएनात ये पैकर-ए-ख़ाक
काविशों से अमाँ मिले न मिले
बुरा हो उल्फ़त-ए-ख़ूबाँ का हम-नशीं हम तो
क़तरा समझे हक़ीक़त-ए-दरिया क्या
वही अरमान जैसे जी जो मुश्किल से निकलते हैं
तलातुम आरज़ू में है न तूफ़ाँ जुस्तुजू में है
शहीद भगत-सिंह
ग़लत की हिज्र में हासिल मुझे क़रार नहीं
ख़ुदा से वक़्त-ए-दुआ हम सवाल कर बैठे