पुर आशोब Poetry

बला-ए-तीरा-शबी का जवाब ले आए

अख़्तर सईद ख़ान

ज़मीं से ता-ब-फ़लक कोई फ़ासला भी नहीं

आरिफ़ अब्दुल मतीन

शोला-ए-मौज-ए-तलब ख़ून-ए-जिगर से निकला

ज़ेब ग़ौरी

मारा हमें इस दौर की आसाँ-तलबी ने

ज़ाहिदा ज़ैदी

शब-ए-महताब भी अपनी भरी-बरसात भी अपनी

ज़हीर काश्मीरी

उसी से आए हैं आशोब आसमाँ वाले

ज़फ़र इक़बाल

आख़िर वो इज़्तिराब के दिन भी गुज़र गए

वारिस किरमानी

रवाँ दवाँ सू-ए-मंज़िल है क़ाफ़िला कि जो था

उर्फ़ी आफ़ाक़ी

मरते मरते रौशनी का ख़्वाब तो पूरा हुआ

तौसीफ़ तबस्सुम

मिरा बातिन मुझे हर पल नई दुनिया दिखाता है

तैमूर हसन

धूमें मचाएँ सब्ज़ा रौंदें फूलों को पामाल करें

ताबिश देहलवी

लुत्फ़ ये है जिसे आशोब-ए-जहाँ कहता हूँ

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

जुनूँ पे जब्र-ए-ख़िरद जब भी होश्यार हुआ

सय्यद ज़मीर जाफ़री

बर-सर-ए-लुत्फ़ आज चश्म-ए-दिल-रुबा थी मैं न था

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

ज़ेब उस को ये आशोब-ए-गदाई नहीं देता

सय्यद अमीन अशरफ़

चंद रोज़ और मिरी जान फ़क़त चंद ही रोज़

सूफ़ी तबस्सुम

उठो ज़माने के आशोब का इज़ाला करें

सिराजुद्दीन ज़फ़र

जाने किस किस की तवज्जोह का तमाशा देखा

शोहरत बुख़ारी

सफ़र नसीब अगर हो तो ये बदन क्यूँ है

शमीम हनफ़ी

धूप के ज़र्द जज़ीरों में नुमू ज़िंदा है

शाहिद कमाल

चश्म-ए-ख़ुश-आब की तमसील में रहने वाले

शाहिद कमाल

मोहब्बत ख़ार-ए-दामन बन के रुस्वा हो गई आख़िर

शानुल हक़ हक़्क़ी

और होंगे वो जिन्हें ज़ब्त का दा'वा होगा

सीमाब बटालवी

वुसअतें महदूद हैं इदराक-ए-इंसाँ के लिए

सीमाब अकबराबादी

महफ़िल-ए-दोस्त में गो सीना-फ़िगार आए हैं

सय्यद एहतिशाम हुसैन

घर के दरवाज़े खुले हों चोर का खटका न हो

सलीम शाहिद

वो शाख़-ए-गुल कि जो आवाज़-ए-अंदलीब भी थी

राज़ी अख्तर शौक़

रंग अब यूँ तिरी तस्वीर में भरता जाऊँ

राज़ी अख्तर शौक़

अली-बिन-मुत्तक़ी रोया

राजेन्द्र मनचंदा बानी

टूटी हुई दीवार की तक़दीर बना हूँ

राज नारायण राज़

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