अखबार Poetry

बातें करो

ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी

टेक लगा कर बैठा हूँ मैं जिस बूढ़ी दीवार के साथ

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

सुर्ख़ियाँ अख़बार की गलियों में ग़ुल करती रहीं

ज़ुबैर रिज़वी

हम बिछड़ के तुम से बादल की तरह रोते रहे

ज़ुबैर रिज़वी

हम बिछड़ के तुम से बादल की तरह रोते रहे

ज़ुबैर रिज़वी

मिडिल-क्लास

ज़ेहरा अलवी

नज़्म

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

जगह

ज़ीशान साहिल

ईमेल

ज़ीशान साहिल

इसी दर से इसी दीवार से आगे नहीं बढ़ता

ज़िशान मेहदी

बम फटे लोग मरे ख़ून बहा शहर लुटे

ज़हीर ग़ाज़ीपुरी

ख़बर

यूसुफ़ ज़फ़र

तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते

वसीम बरेलवी

कहाँ क़तरे की ग़म-ख़्वारी करे है

वसीम बरेलवी

मुदावा

वामिक़ जौनपुरी

तअ'स्सुब की फ़ज़ा में ता'ना-ए-किरदार क्या देता

उनवान चिश्ती

ज़हर में बुझती हुई बेल है दीवार के साथ

उम्मीद ख़्वाजा

बात कुछ यूँ है कि ये ख़ौफ़ का मंज़र तो नहीं

तन्हा तिम्मापुरी

दूर तक परछाइयाँ सी हैं रह-ए-अफ़्कार पर

तख़्त सिंह

मुझ से मत कर यार कुछ गुफ़्तार मैं रोज़े से हूँ

सय्यद ज़मीर जाफ़री

ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

काटे हैं दिन हयात के लाचार की तरह

शोभा कुक्कल

दरों को चुनता हूँ दीवार से निकलता हूँ

शोएब निज़ाम

मेरे अल्फ़ाज़ में असर रख दे

शीन काफ़ निज़ाम

ज़बानें चुप रहें लेकिन मिज़ाज-ए-यार बोलेगा

शायान क़ुरैशी

हालात के कोहना दर-ओ-दीवार से निकलें

शायान क़ुरैशी

कितने अख़बार-फ़रोशों को सहाफ़ी लिक्खा

शकील जमाली

कहानी में छोटा सा किरदार है

शकील जमाली

हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिए

शकील आज़मी

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