हसन Poetry (page 70)

आँखों में रूप सुब्ह की पहली किरन सा है

अदा जाफ़री

गया तो हुस्न न दीवार में न दर में था

अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

मुश्किल है पता चलना क़िस्सों से मोहब्बत का

अबू ज़ाहिद सय्यद यहया हुसैनी क़द्र

है आम अज़ल ही से फ़ैज़ान मोहब्बत का

अबू ज़ाहिद सय्यद यहया हुसैनी क़द्र

तसव्वुरात में इन को बुला के देख लिया

अबु मोहम्मद वासिल

रह-ए-वफ़ा में उन्हीं की ख़ुशी की बात करो

अबु मोहम्मद वासिल

इश्क़ को हुस्न के अतवार से क्या निस्बत है

अबु मोहम्मद सहर

वक़्त ग़मनाक सवालों में न बर्बाद करें

अबु मोहम्मद सहर

इश्क़ की सई-ए-बद-अंजाम से डर भी न सके

अबु मोहम्मद सहर

अब तक इलाज-ए-रंजिश-ए-बे-जा न कर सके

अबु मोहम्मद सहर

तुझ हुस्न के बाग़ में सिरीजन

आबरू शाह मुबारक

तूफ़ाँ है शैख़ क़हरिया है

आबरू शाह मुबारक

सैर-ए-बहार-ए-हुस्न ही अँखियों का काम जान

आबरू शाह मुबारक

रता है अबरुवाँ पर हाथ अक्सर लावबाली का

आबरू शाह मुबारक

क़यामत राग ज़ालिम भाव काफ़िर गत है ऐ पन्ना

आबरू शाह मुबारक

इंसान है तो किब्र सीं कहता है क्यूँ अना

आबरू शाह मुबारक

गरचे इस बुनियाद-ए-हस्ती के अनासिर चार हैं

आबरू शाह मुबारक

गली अकेली है प्यारे अँधेरी रातें हैं

आबरू शाह मुबारक

कुछ है ख़बर फ़रिश्तों के जलते हैं पर कहाँ

अबरार शाहजहाँपुरी

नई हवा में कोई रंग-ए-काएनात में गुम

अबरार किरतपुरी

ख़ुशी के वक़्त भी तुझ को मलाल कैसा है

अबरार हामिद

क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा

अबरार अहमद

अपने अंदर भी हम-नवाई नहीं

आबिद वदूद

न कर्ब-ए-हिज्र न कैफ़्फ़ियत-ए-विसाल में हूँ

आबिद हशरी

पत्ते पत्ते से नग़्मा-सरा कौन है

अब्दुस्समद ’तपिश’

क्या कीजिए रक़म सनद-ए-एहतिशाम-ए-ज़ुल्फ़

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

गुदाज़-ए-आतिश-ए-ग़म सीं हुई हैं बावली अँखियाँ

अब्दुल वहाब यकरू

दिल की हालत बयाँ नहीं होती

अब्दुल सलाम

क्या क्या सुपुर्द-ए-ख़ाक हुए नामवर तमाम

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

काश समझते अहल-ए-ज़माना

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

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