फ़लक Poetry

बच्चों का जुलूस

बलराज कोमल

ज़मीं से ता-ब-फ़लक कोई फ़ासला भी नहीं

आरिफ़ अब्दुल मतीन

मौसम हो कोई याद के खे़मे नहीं उठते

वफ़ा नक़वी

कैसी उफ़्ताद पड़ी

फ़ैसल हाश्मी

मैं जब भी तिरे शहर-ए-ख़ुश-ए-आसार से निकला

ज़िया फ़ारूक़ी

इश्क़ ने कर दिया क्या क्या सुख़न-आरा तिरे नाम

ज़िया फ़ारूक़ी

शहर के एक कुशादा घर में

ज़ेहरा निगाह

नज़्म

ज़ीशान साहिल

किस शेर में सना-ए-रुख़-ए-मह-जबीं नहीं

ज़ेबा

उस के क़ुर्ब के सारे ही आसार लगे

ज़ेब ग़ौरी

मैं अक्स-ए-आरज़ू था हवा ले गई मुझे

ज़ेब ग़ौरी

गर्म लहू का सोना भी है सरसों की उजयाली में

ज़ेब ग़ौरी

अक्स-ए-फ़लक पर आईना है रौशन आब ज़ख़ीरों का

ज़ेब ग़ौरी

उस पे करना मिरे नालों ने असर छोड़ दिया

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

क़ाइल भला हों नामा-बरी में सबा के ख़ाक

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

मोहब्बत के सफ़र में कोई भी रस्ता नहीं देता

ज़ाहिद फख़री

मेरा वजूद उस को गवारा नहीं रहा

ज़ाहिद चौधरी

अब दर्द बे-दयार है और जग-हँसाई है

ज़हीर फ़तेहपूरी

किस मुँह से हाथ उठाएँ फ़लक की तरफ़ 'ज़हीर'

ज़हीर देहलवी

ये सब कहने की बातें हैं हम उन को छोड़ बैठे हैं

ज़हीर देहलवी

गेसू से अंबरी है सबा और सबा से हम

ज़हीर देहलवी

बुतों से बच के चलने पर भी आफ़त आ ही जाती है

ज़हीर देहलवी

आँसू फ़लक की आँख से टपके तमाम रात

ज़हीर अहमद ज़हीर

सूखी ज़मीं को याद के बादल भिगो गए

ज़हीर अहमद ज़हीर

तिलिस्म-ए-होश-रुबा में पतंग उड़ती है

ज़फ़र इक़बाल

शब भर रवाँ रही गुल-ए-महताब की महक

ज़फ़र इक़बाल

नहीं कि दिल में हमेशा ख़ुशी बहुत आई

ज़फ़र इक़बाल

ख़बर

यूसुफ़ ज़फ़र

आते रहते हैं फ़लक से भी इशारे कुछ न कुछ

यासमीन हबीब

आते रहते हैं फ़लक से भी इशारे कुछ न कुछ

यासमीन हबीब

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