गुलशन Poetry

श्री गुरु-नानक

शातिर अमृतसरी

दिन हो कि हो वो रात अभी कल की बात है

फ़ीरोज़ाबी नातिक़ ख़ुसरो

हम को ख़ुलूस-ए-दिल का किसी ने सिला दिया है

अनवर ख़लील

ग़म के बे-नूर मज़ारों का गला घोंट आया

जाम ख़ाली हैं मय-ए-नाब कहाँ से लाऊँ

ज़ेर-ए-बाम गुम्बद-ए-ख़ज़रा अज़ाँ

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

रो लेते थे हँस लेते थे बस में न था जब अपना जी

ज़ुहूर नज़र

रो लेते थे हँस लेते थे बस में न था जब अपना जी

ज़ुहूर नज़र

रो लेते थे हँस लेते थे बस में न था जब अपना जी

ज़ुहूर नज़र

क़मर-गज़ीदा नज़र से हाला कहाँ से आया

ज़ुबैर शिफ़ाई

ये उदासी ये फैलते साए

ज़ेहरा निगाह

फ़ैसला क्या हो जान-ए-बिस्मिल का

ज़ेबा

ठहरा वही नायाब कि दामन में नहीं था

ज़ेब ग़ौरी

लबों की जुम्बिश नवा-ए-बुलबुल है शोख़ लहजा तिरा क़यामत

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

मशरब-ए-हुस्न के उन्वान बदल जाते हैं

ज़ेब बरैलवी

हो गए अम्बर-फ़शाँ दोनों-जहाँ मेरे लिए

ज़ाहीदा कमाल

वो आफ़्ताब में है और न माहताब में है

ज़ाहिद चौधरी

चल दिया वो उस तरह मुझ को परेशाँ छोड़ कर

ज़ाहिद चौधरी

वजूद उस का कभी भी न लुक़्मा-ए-तर था

ज़हीर सिद्दीक़ी

चमकती वुसअतों में जो गुल-ए-सहरा खिला है

ज़फ़र इक़बाल

शो'ले से चटकते हैं हर साँस में ख़ुशबू के

ज़फ़र गौरी

जो हुरूफ़ लिख गया था मिरी आरज़ू का बचपन

यूसुफ़ ज़फ़र

वतन

यूसुफ़ राहत

आशिक़ी के आश्कारे हो चुके

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

वो कौन से ख़तरे हैं जो गुलशन में नहीं हैं

याक़ूब उस्मानी

तूफ़ाँ की ज़द पे अपना सफ़ीना जब आ गया

याक़ूब उस्मानी

मैं चाहूँ भी तो ज़ब्त-ए-गुफ़्तुगू मैं ला नहीं सकता

याक़ूब उस्मानी

ये वो आँसू हैं जिन से ज़ोहरा आतिशनाक हो जावे

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

दुनिया से 'यास' जाने को जी चाहता नहीं

यगाना चंगेज़ी

साया अगर नसीब हो दीवार-ए-यार का

यगाना चंगेज़ी

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