अनुमति Poetry

चाँद-तारों ने कोई शय तो छुपाई हुई है

रश्मि सबा

हमारे शहर में आने की सूरत चाहती हैं

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

हमारे शहर में आने की सूरत चाहती हैं

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

ये रास्ते में जो शब खड़ी है हटा रहा हूँ मुआफ़ करना

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

राहत-ए-वस्ल बिना हिज्र की शिद्दत के बग़ैर

ज़िया ज़मीर

हवा

ज़ीशान साहिल

हाँ वो मैं ही था कि जिस ने ख़्वाब ढोया सुब्ह तक

ज़हीर सिद्दीक़ी

बदन कजला गया तो दिल की ताबानी से निकलूँगा

ज़फ़र गोरखपुरी

बयाँ ऐ हम-नशीं ग़म की हिकायत और हो जाती

वासिफ़ देहलवी

तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से

वसी शाह

उदास रातों में तेज़ कॉफ़ी की तल्ख़ियों में

वसी शाह

समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं

वसी शाह

दस्त-ए-ख़िरद से पर्दा-कुशाई न हो सकी

तिलोकचंद महरूम

लहु लहु आँखें

तारिक़ क़मर

काश ऐसी भी कोई साअ'त हो

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

कुछ इस अंदाज़ से हैं दश्त में आहू निकल आए

सय्यद मंज़ूर हैदर

बाँहों में यार हो, कोई फ़ुर्सत की शाम हो

सय्यद काशिफ़ रज़ा

आसमाँ एक किनारे से उठा सकती हूँ

सिदरा सहर इमरान

बुतो ये शीशा-ए-दिल तोड़ दो ख़ुदा के लिए

शैख़ अली बख़्श बीमार

मौत का फ़रिश्ता

शौकत आबिदी

ख़मोशी बस ख़मोशी थी इजाज़त अब हुई है

शारिक़ कैफ़ी

इक शहंशाह ने बनवा के....

शकील बदायुनी

कफ़न-चोर

शहज़ाद नय्यर

अब तिरी याद से वहशत नहीं होती मुझ को

शाहिद ज़की

सब हैं मसरूफ़ किसी को यहाँ फ़ुर्सत नहीं है

शाहिद कमाल

मैं कहाँ तक तुझे सफ़ाई दूँ

शाहिद कमाल

न तड़पने की इजाज़त है न फ़रियाद की है

शाद लखनवी

बदल चुकी है हर इक याद अपनी सूरत भी

शबनम शकील

शायद जगह नसीब हो उस गुल के हार में

सीमाब अकबराबादी

मिरे ठहराव को कुछ और भी वुसअत दी जाए

सालिम सलीम

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