प्रेम Poetry (page 56)

उस के दिल पर भी कड़ी इश्क़ में गुज़री होगी

हकीम नासिर

जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है

हकीम नासिर

बहिश्त-ए-बरीँ

हाजी लक़ लक़

आमदनी और ख़र्च

हाजी लक़ लक़

हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए

हैरत गोंडवी

हुस्न भी है पनाह में इश्क़ भी है पनाह में

हैरत गोंडवी

'हैरत' के दिल पे वार किया हाए क्या किया

हैरत गोंडवी

बोसा लिया जो चश्म का बीमार हो गए

हैरत इलाहाबादी

वस्ल की शब थी और उजाले कर रक्खे थे

हैदर क़ुरैशी

उस दरबार में लाज़िम था अपने सर को ख़म करते

हैदर क़ुरैशी

तुम्हारे इश्क़ में किस किस तरह ख़राब हुए

हैदर क़ुरैशी

अंदर की दुनियाएँ मिला के एक नगर हो जाएँ

हैदर क़ुरैशी

न पाक होगा कभी हुस्न ओ इश्क़ का झगड़ा

हैदर अली आतिश

आसार-ए-इश्क़ आँखों से होने लगे अयाँ

हैदर अली आतिश

ज़िंदे वही हैं जो कि हैं तुम पर मरे हुए

हैदर अली आतिश

या-अली कह कर बुत-ए-पिंदार तोड़ा चाहिए

हैदर अली आतिश

वो नाज़नीं ये नज़ाकत में कुछ यगाना हुआ

हैदर अली आतिश

वही चितवन की ख़ूँ-ख़्वारी जो आगे थी सो अब भी है

हैदर अली आतिश

उन्नाब-ए-लब का अपने मज़ा कुछ न पूछिए

हैदर अली आतिश

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया

हैदर अली आतिश

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

हैदर अली आतिश

ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के

हैदर अली आतिश

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

हैदर अली आतिश

शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था

हैदर अली आतिश

शब-ए-फ़ुर्क़त में यार-ए-जानी की

हैदर अली आतिश

सब्ज़ा बाला-ए-ज़क़न दुश्मन है ख़ल्क़ुल्लाह का

हैदर अली आतिश

पयम्बर मैं नहीं आशिक़ हूँ जानी

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

मुंतज़िर था वो तो जुस्त-ओ-जू में ये आवारा था

हैदर अली आतिश

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

हैदर अली आतिश

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