जुदा Poetry (page 13)

सियह-बख़्ती में कब कोई किसी का साथ देता है

इमाम बख़्श नासिख़

न जाने कब वो पलट आएँ दर खुला रखना

इफ़्तिख़ार नसीम

किसी के हक़ में सही फ़ैसला हुआ तो है

इफ़्तिख़ार नसीम

हाथ लहराता रहा वो बैठ कर खिड़की के साथ

इफ़्तिख़ार नसीम

मैं तुम को ख़ुद से जुदा कर के किस तरह देखूँ

इफ़्तिख़ार मुग़ल

तुम्हें भी चाहा, ज़माने से भी वफ़ा की थी

इफ़्तिख़ार मुग़ल

किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

सर-ए-बाम-ए-हिज्र दिया बुझा तो ख़बर हुई

इफ़्तिख़ार आरिफ़

है ये शहर-ए-इश्क़ याँ आब-ओ-हवा कुछ और है

इफ़्फ़त अब्बास

कर बुरा तो भला नहीं होता

इब्न-ए-मुफ़्ती

राहत ओ रंज से जुदा हो कर

हुसैन आबिद

रह-ए-तलब में बड़ी तुर्फ़गी के साथ चले

हुरमतुल इकराम

कभी कभी तो जुदा बे-सबब भी होते हैं

हुमैरा राहत

हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है

हुमैरा राहत

अपना अंदाज़-ए-जुनूँ सब से जुदा रखता हूँ मैं

हिमायत अली शाएर

आओ मिल बैठ कर हँसें बोलें

हज़ीं लुधियानवी

इस तरह पैकर-ए-वफ़ा हो जाएँ

हज़ीं लुधियानवी

पूछेगा जो वो रश्क-ए-क़मर हाल हमारा

हातिम अली मेहर

खुल गया उन की मसीहाई का आलम शब-ए-वस्ल

हातिम अली मेहर

का'बा-ओ-बुत-ख़ाना वालों से जुदा बैठे हैं हम

हातिम अली मेहर

राह में मिलिए कभी मुझ से तो अज़-राह-ए-सितम

हसरत मोहानी

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए

हसरत मोहानी

सियहकार थे बा-सफ़ा हो गए हम

हसरत मोहानी

पैरव-ए-मस्लक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा होते हैं

हसरत मोहानी

बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा

हसरत मोहानी

और तो पास मिरे हिज्र में क्या रक्खा है

हसरत मोहानी

जो भी यहाँ हुआ वो बहुत ही बुरा हुआ

हसीर नूरी

शाख़ से फूल को फिर जुदा कर दिया

हसन निज़ामी

आई क्या जी में तेग़-ए-क़ातिल के

हसन बरेलवी

वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब

हसन बरेलवी

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.