जुस्तजू Poetry (page 13)

असीर-ए-ख़्वाब नई जुस्तुजू के दर खोलें

अम्बरीन सलाहुद्दीन

बुरीदा बाज़ुओं में वो परिंद लाला-बार था

अम्बर बहराईची

है जुस्तुजू कि ख़ूब से है ख़ूब-तर कहाँ

अल्ताफ़ हुसैन हाली

नशात-ए-उमीद

अल्ताफ़ हुसैन हाली

है जुस्तुजू कि ख़ूब से है ख़ूब-तर कहाँ

अल्ताफ़ हुसैन हाली

ज़ौक़ ओ शौक़

अल्लामा इक़बाल

तुलू-ए-इस्लाम

अल्लामा इक़बाल

सर-गुज़िश्त-ए-आदम

अल्लामा इक़बाल

मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा

अल्लामा इक़बाल

जिब्रईल ओ इबलीस

अल्लामा इक़बाल

मुझे आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-नीम-शब का फिर पयाम आया

अल्लामा इक़बाल

मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में

अल्लामा इक़बाल

फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर

अल्लामा इक़बाल

इसी लिए तो है ज़िंदाँ को जुस्तुजू मेरी

अली सरदार जाफ़री

सर-ए-तूर

अली सरदार जाफ़री

मिरे अज़ीज़ो, मिरे रफ़ीक़ो

अली सरदार जाफ़री

चले थे भर के रेत जब सफ़र की जिस्म-ओ-जाँ में हम

अलीम अफ़सर

हिसार-ए-मक़्तल-ए-जाँ में लहू लहू मैं था

आलमताब तिश्ना

उर्दू

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

हब्स-ए-दरूँ पे जिस्म-ए-गिराँ-बार संग था

अकरम नक़्क़ाश

अपाहिज गाड़ी का आदमी

अख़्तर-उल-ईमान

दिन ढला शब हुई चराग़ जले

अख़्तर ज़ियाई

आँख दरिया जिगर लहू करना

अख़्तर ज़ियाई

न भूल कर भी तमन्ना-ए-रंग-ओ-बू करते

अख़्तर शीरानी

निगाहें मुंतज़िर हैं किस की दिल को जुस्तुजू क्या है

अख़्तर सईद ख़ान

मुझे अब देखती है ज़िंदगी यूँ बे-नियाज़ाना

अख़्तर सईद ख़ान

तिरी जबीं पे मिरी सुब्ह का सितारा है

अख़्तर सईद ख़ान

निगाहें मुंतज़िर हैं किस की दिल को जुस्तुजू क्या है

अख़्तर सईद ख़ान

दीदनी है ज़ख़्म-ए-दिल और आप से पर्दा भी क्या

अख़्तर सईद ख़ान

वो भी क्या दिन थे क्या ज़माने थे

अख़्तर रज़ा सलीमी

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