कसक Poetry

भूली-बिसरी हुई यादों में कसक है कितनी

ज़ुबैर रिज़वी

तीरगी

ज़िया जालंधरी

कसक

ज़िया जालंधरी

आज की बात

ज़ेहरा निगाह

नज़्म

ज़ीशान साहिल

ज़िंदगी यूँ भी कभी मुझ को सज़ा देती है

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

कभी इश्क़ साज़-ए-हयात था कभी सोज़-ए-दिल ने जला दिया

ज़ाहिदा ज़ैदी

क़ैद-ए-उल्फ़त का मज़ा ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर में है

यूनुस ग़ाज़ी

अश्क-उफ़्तादा नज़र आते हैं सारे दरिया

वज़ीर अली सबा लखनवी

इस बहाने के बा'द कैसा इश्क़

वक़ार सहर

उस गली तक सड़क रही होगी

विजय शर्मा अर्श

अश्क टपकें लाख होंटों की हँसी जाती नहीं

तरुणा मिश्रा

दिल तेरी नज़र की शह पा कर मिलने के बहाने ढूँढे है

ताज भोपाली

सुकून-ए-दिल में वो बन के जब इंतिशार उतरा तो मैं ने देखा

ताहिर फ़राज़

फिर कोई चोट उभरी दिल में कसक सी जागी

सय्यद शकील दस्नवी

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की मरे ज़िक्र पर झेंप जाती तो होगी

सय्यद शकील दस्नवी

इब्तिदा कितनी मोहब्बत की हसीं होती है

सय्यद मोहम्मद ज़फ़र अशक संभली

शजर शजर निगराँ है कली कली बेदार

सूफ़ी तबस्सुम

कभी वो रंज के साँचे में ढाल देता है

शोभा कुक्कल

फूल से लोगों को मिट्टी में मिला कर आएगी

शकील सरोश

हासिल-ए-उम्र है जो एक कसक बाक़ी है

शकील जाज़िब

कितने अख़बार-फ़रोशों को सहाफ़ी लिक्खा

शकील जमाली

ये सोच कर कि तेरी जबीं पर न बल पड़े

शहज़ाद अहमद

जो दिल में खटकती है कभी कह भी सकोगे

शहज़ाद अहमद

तेरे सिवा

शाहिद अख़्तर

यही सुनते आए हैं हम-नशीं कभी अहद-ए-शौक़-ए-कमाल में

सज्जाद बाक़र रिज़वी

अक्सर बैठे तन्हाई की ज़ुल्फ़ें हम सुलझाते हैं

सज्जाद बाक़र रिज़वी

सर-ज़मीन-ए-यास

साहिर लुधियानवी

जब कभी यादों का दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब

रौनक़ दकनी

कितनी ठंडी थी हवा क़र्या-ए-बर्फ़ानी की

रासिख़ इरफ़ानी

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