अपमानित Poetry

यहाँ-वहाँ से इधर-उधर से न जाने कैसे कहाँ से निकले

आफ़्ताब शकील

अलाव

बलराज कोमल

हमें यूँही न सर-ए-आब-ओ-गिल बनाया जाए

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

रास्ते

ज़ेहरा निगाह

इस बज़्म-ए-तसव्वुर में बस यार की बातें हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

रौशनी लटकी हुई तलवार सी

ज़काउद्दीन शायाँ

वो महफ़िलें वो मिस्र के बाज़ार क्या हुए

ज़हीर काश्मीरी

हैं बज़्म-ए-गुल में बपा नौहा-ख़्वानियाँ क्या क्या

ज़हीर काश्मीरी

फ़र्ज़ बरसों की इबादत का अदा हो जैसे

ज़हीर काश्मीरी

हम-नशीं उन के तरफ़-दार बने बैठे हैं

ज़हीर देहलवी

हम गरचे दिल ओ जान से बेज़ार हुए हैं

यूसुफ़ ज़फ़र

काम दीवानों को शहरों से न बाज़ारों से

यगाना चंगेज़ी

रंग है ऐ साक़ी-ए-सरशार क़ैसर-बाग़ में

वज़ीर अली सबा लखनवी

मेरा किया था मैं टूटा कि बिखरा रहा

वसीम बरेलवी

माँ

वामिक़ जौनपुरी

मिल उस परी से क्या क्या हुआ दिल

वलीउल्लाह मुहिब

मेरी ख़बर न लेना ऐ यार है तअ'ज्जुब

वलीउल्लाह मुहिब

ऐ दिल आता है चमन में वो शराबी तू पहुँच

वलीउल्लाह मुहिब

तिरी ज़ुल्फ़ की शब का बेदार मैं हूँ

वली उज़लत

दुनिया अपनी मंज़िल पहुँची तुम घर में बेज़ार पड़े

वजद चुगताई

उजड़ के घर से सर-ए-राह आ के बैठे हैं

वारिस किरमानी

ये किस से आज बरहम हो गई है

तिलोकचंद महरूम

जीना अब दुश्वार है बाबा

तारिक़ राशीद दरवेश

क्या ज़रूरी है कोई बे-सबब आज़ार भी हो

तनवीर अहमद अल्वी

मुझ को दिमाग़-ए-गर्मी-ए-बाज़ार है कहाँ

तालिब चकवाली

शरह-ए-जाँ-सोज़-ए-ग़म-ए-अर्ज़-ए-वफ़ा क्या करते

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हर सितम लुत्फ़ है दिल ख़ूगर-ए-आज़ार कहाँ

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

एक तुम ही नहीं दुनिया में जफ़ाकार बहुत

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

पड़ गई क्या निगह-ए-मस्त तिरे साक़ी की

तअशशुक़ लखनवी

अपनी फ़रहत के दिन ऐ यार चले आते हैं

तअशशुक़ लखनवी

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