मज़ा Poetry

दिल के बुझते हुए ज़ख़्मों को हवा देता है

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

तिरी जुस्तुजू तिरी आरज़ू मुझे काम तेरे ही काम से

ज़की काकोरवी

कभी इश्क़ साज़-ए-हयात था कभी सोज़-ए-दिल ने जला दिया

ज़ाहिदा ज़ैदी

वो जो कुछ कुछ निगह मिलाने लगे

ज़हीर देहलवी

तल्ख़ शिकवे लब-ए-शीरीं से मज़ा देते हैं

ज़हीर देहलवी

हाथ से हैहात क्या जाता रहा

ज़हीर देहलवी

ईमाँ के साथ ख़ामी-ए-ईमाँ भी चाहिए

ज़फ़र इक़बाल

क्यूँ मैं हाइल हो जाता हूँ अपनी ही तन्हाई में

ज़फ़र हमीदी

ऐ बे-ख़बरी जी का ये क्या हाल है कल से

यूसुफ़ ज़फ़र

अगरचे इश्क़ में आफ़त है और बला भी है

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

ख़ुदाओं की ख़ुदाई हो चुकी बस

यगाना चंगेज़ी

दामन-ए-क़ातिल जो उड़ उड़ कर हवा देने लगे

यगाना चंगेज़ी

देख कर ख़ुश-रंग उस गुल-पैरहन के हाथ पाँव

वज़ीर अली सबा लखनवी

ऐ सनम सब हैं तिरे हाथों से नालाँ आज-कल

वज़ीर अली सबा लखनवी

मग़्ज़-ए-बहार इस बरस उस बिन बचा न था

वली उज़लत

बुतो ख़ुदा से डरो संग दिल सिवा न करो

वाजिद अली शाह अख़्तर

मेहनत हो मुसीबत हो सितम हो तो मज़ा है

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

तल्ख़ी-कश-ए-नौमीदी-ए-दीदार बहुत हैं

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

दर पे तेरे जो सर झुका लूँगा

विजय शर्मा अर्श

बे-मेहर कहते हो उसे जो बेवफ़ा नहीं

मीर तस्कीन देहलवी

इंकार भी करने का बहाना नहीं मिलता

तालीफ़ हैदर

हम हिज्र के रस्तों की हवा देख रहे हैं

तालीफ़ हैदर

किस किस तरह की दिल में गुज़रती हैं हसरतें

ताबाँ अब्दुल हई

इंसान की हालत पर अब वक़्त भी हैराँ है

सय्यद सग़ीर सफ़ी

इलेक्शन

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

वो याद कर भी रहा हो तो फ़ाएदा क्या है

सय्यद काशिफ़ रज़ा

हम से वो बे-रुख़ी से मिलता है

सय्यद हामिद

हक़ किसी का अदा नहीं होता

सय्यद हामिद

साक़िया हो गर्मी-ए-सोहबत ज़रा बरसात में

सय्यद अाग़ा अली महर

वाइज़ो मैं भी तुम्हारी ही तरह मस्जिद में

सय्यद आबिद अली आबिद

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