नाराज Poetry

नज़्म

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ाहिद डार

बजा है ज़िंदगी से हम बहुत रहे नाराज़

ज़फ़र अज्मी

बदन से रूह तलक हम लहू लहू हुए हैं

ज़फ़र अज्मी

कैसा मफ़्तूह सा मंज़र है कई सदियों से

वसी शाह

होंट मसरूफ़-ए-दुआ आँख सवाली क्यूँ है

वजीह सानी

इबहाम दीदा

वहाब दानिश

तू भी नाराज़ बहुत है मुझ से

विकास शर्मा राज़

अब रवानी से है नजात मुझे

विकास शर्मा राज़

रूठना चाहो तो अब हरगिज़ मनाने का नहीं

उम्मीद ख़्वाजा

मैं ख़ुद अपना लहू पीने लगा हूँ

त्रिपुरारि

फ़क़त तुम ही नहीं नाराज़ मुझ से जान-ए-जानाँ

ताहिर अदीम

मुझे वो छोड़ कर जब से गया है इंतिहा है

ताहिर अदीम

डरता हूँ ज़िंदगी के वसीले नहीं मिले

सय्यद अारिफ़

अजब सी बद-हवासी छा रही है

सुनील कुमार जश्न

ख़िज़ाँ की आज़माइश हो गया हूँ

सुहैल अख़्तर

बे-ख़याली में कहा था कि शनासाई नहीं

सिदरा सहर इमरान

ज़हे-ए-कोशिश-ए-कामयाब-ए-मोहब्बत

शेरी भोपाली

मुझे हँसना पड़ा आख़िर

शारिक़ कैफ़ी

मरने वाले से जलन

शारिक़ कैफ़ी

अगरचे कार-ए-दुनिया कुछ नहीं है

शहज़ाद अहमद

फ़ैसले की घड़ी

शहरयार

बिछड़ गया था कोई ख़्वाब-ए-दिल-नशीं मुझ से

शाहिद ज़की

ऐसा नहीं कि उस ने बनाया नहीं मुझे

शाहीन अब्बास

नींद का फ़रिश्ता

सरवत हुसैन

हासिल-ए-ज़ीस्त इश्क़ ही तो नहीं

सज्जाद बाक़र रिज़वी

इतना नाराज़ हो क्यूँ उस ने जो पत्थर फेंका

साग़र आज़मी

धूप में ग़म की मिरे साथ जो आया होगा

साग़र आज़मी

ज़ात की काल कोठरी से आख़िरी नश्रिया

सईद अहमद

नहीं जाने है वो हर्फ़-ए-सताइश बरमला कहना

सबिहा सबा, न्यूयार्क

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