व्यक्ति Poetry

इश्क़ उस से किया है तो ये गर याद भी रक्खो

फ़ीरोज़ाबी नातिक़ ख़ुसरो

दिन हो कि हो वो रात अभी कल की बात है

फ़ीरोज़ाबी नातिक़ ख़ुसरो

जो मुझ में छुपा मेरा गला घोंट रहा है

फ़हमीदा रियाज़

भली हो या कि बुरी हर नज़र समझता है

अतुल अजनबी

वो चाँद था बादलों में गुम था

असरार ज़ैदी

वही मैं हूँ वही मेरी कहानी है

मोईन निज़ामी

हर-सम्त ताज़गी सी झरनों की नग़्मगी से कितनी

जाफ़र रज़ा

सुलग रहा है कोई शख़्स क्यूँ अबस मुझ में

अब्दुल्लाह कमाल

राब्ता टूट न जाए कहीं ख़ुद-बीनी से

असरार ज़ैदी

जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था

कोई नहीं था हुनर-आश्ना तुम्हारे बा'द

हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी

जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था

एहसास-ए-जुर्म

बड़ी मुश्किल कहानी थी मगर अंजाम सादा है

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

जीने की है उमीद न मरने की आस है

ज़ुहैर कंजाही

नज़र न आए तो सौ वहम दिल में आते हैं

ज़ुबैर रिज़वी

नया जन्म

ज़ुबैर रिज़वी

दूसरा आदमी

ज़ुबैर रिज़वी

तिलिस्म-ए-हर्फ़-ओ-हिकायत उसे भी ले डूबा

ज़ुबैर रिज़वी

तमाम रास्ता फूलों भरा तुम्हारा था

ज़ुबैर रिज़वी

शफ़क़-सिफ़ात जो पैकर दिखाई देता है

ज़ुबैर रिज़वी

पत्थर की क़बा पहने मिला जो भी मिला है

ज़ुबैर रिज़वी

दोनों हम-पेशा थे दोनों ही में याराना था

ज़ुबैर रिज़वी

दिल फिर उस कूचे में जाने वाला है

ज़ुबैर अली ताबिश

तुम ने भी उन से ही मिलना होता है

ज़िया मज़कूर

कूचा-ए-यार में मैं ने जो जबीं-साई की

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

हमें भी ज़रूरत थी इक शख़्स की

ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब

उस को जाते हुए देखा था पुकारा था कहाँ

ज़िया ज़मीर

उस को जाते हुए देखा था पुकारा था कहाँ

ज़िया ज़मीर

जाँ का दुश्मन है मगर जान से प्यारा भी है

ज़िया ज़मीर

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