शौक Poetry (page 26)

निगाह-ए-शौक़ अगर दिल की तर्जुमाँ हो जाए

हया लखनवी

न होती हाल-ए-दिल कहने की गर हिम्मत तो अच्छा था

हया लखनवी

करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम

हातिम अली मेहर

करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम

हातिम अली मेहर

है इंतिहा-ए-यास भी इक इब्तिदा-ए-शौक़

हसरत मोहानी

ग़म-ए-आरज़ू का 'हसरत' सबब और क्या बताऊँ

हसरत मोहानी

छेड़ा है दस्त-ए-शौक़ ने मुझ से ख़फ़ा हैं वो

हसरत मोहानी

बे-ज़बानी तर्जुमान-ए-शौक़ बेहद हो तो हो

हसरत मोहानी

वस्ल की बनती हैं इन बातों से तदबीरें कहीं

हसरत मोहानी

उस बुत के पुजारी हैं मुसलमान हज़ारों

हसरत मोहानी

उन को जो शुग़्ल-ए-नाज़ से फ़ुर्सत न हो सकी

हसरत मोहानी

तुझ से गरवीदा यक ज़माना रहा

हसरत मोहानी

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए

हसरत मोहानी

तिरे दर्द से जिस को निस्बत नहीं है

हसरत मोहानी

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी

हसरत मोहानी

ताबाँ जो नूर-ए-हुस्न ब-सिमा-ए-इश्क़ है

हसरत मोहानी

सियहकार थे बा-सफ़ा हो गए हम

हसरत मोहानी

सितम हो जाए तम्हीद-ए-करम ऐसा भी होता है

हसरत मोहानी

क़िस्मत-ए-शौक़ आज़मा न सके

हसरत मोहानी

पैहम दिया प्याला-ए-मय बरमला दिया

हसरत मोहानी

न सूरत कहीं शादमानी की देखी

हसरत मोहानी

न सही गर उन्हें ख़याल नहीं

हसरत मोहानी

मुदावा-ए-दिल-ए-दीवाना करते

हसरत मोहानी

महरूम-ए-तरब है दिल-ए-दिल-गीर अभी तक

हसरत मोहानी

जो वो नज़र बसर-ए-लुत्फ़ आम हो जाए

हसरत मोहानी

हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया

हसरत मोहानी

है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी

हसरत मोहानी

घटेगा तेरे कूचे में वक़ार आहिस्ता आहिस्ता

हसरत मोहानी

दिल को ख़याल-ए-यार ने मख़्मूर कर दिया

हसरत मोहानी

दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर न हुई

हसरत मोहानी

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